जानिए कुकर का इतिहास और उसके फायदे

ऐसा कोई सा भी बर्तन जिसमें खाना पकाने के लिए वायुमंडलीय दाब से ज़्यादा दाब उत्पन्न करके उसमे खाना बनाने की व्यवस्था हो उसे प्रेशर कुकर या दाबित रसोइया भी कहते हैं। प्रेशर कुकर में खाना बहुत ही जल्दी बन जाता है क्योंकि ज़्यादा Pressure होने के कारण पानी 100 डिग्री सेल्सिअस से भी ज़्यादा ताप तक गर्म किया जा सकता है क्योंकि ज़्यादा Pressure पर पानी का Boiling point अधिक होता है।

प्रेशर कुकर के लाभ

  • खाना बनाने में कम समय लगता है और इससे काफी समय की बचत भी होती है
  • ईंधन भी बहुत ही कम लगता है।
  • कम पानी का खर्च होता है।
  • ज़्यादा ताप पर खाना बनने की वजह से सभी कीटाणु मर जाते हैं।
  • प्रेशर कुकर से खाना बनाने में ताप का फैलाव एक समान रूप से होता है। अंत पूरा भोजन एक समान रूप से बनता है।
  • प्रेशर कुकर एक कारगर Sterilizer (कीटाणुनाशक) के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
  • ज़्यादा ऊंचाई वाले स्थानों (जैसे कि पहाड़ों पर) इससे बहुत ज़्यादा लाभ मिलता है क्योंकि बिना दाब के वहाँ पर भोजन पकाने पर पानी 100 डिग्री सेल्सिअस से भी कम ताप पर उबलने लगता है। जिसकी वजह से भोजन पकाने में अधिक समय और असुविधा का सामना करना पड़ता है।
  • प्रेशर कुकर में खाना बनाने से बर्तन धोने में भी कोई परेशानी नहीं होती क्योंकि इस बर्तन में खाना जलता नहीं है।
  • आवश्यकता पडने पर इसका ढक्कन निकालकर साधारण तरीके से भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • प्रेशर कुकर का ढक्कन एकदम फिट होकर बन्द होता है। इसीलिए इसमें रखकर खाने को आप कहीं भी ले जा सकते हो इसमें काफी सुविधा होती है। इससे भोजन बाहर नहीं निकलता।

प्रेशर कुकर का इतिहास

cooker

अगर प्रेशर कुकर की History पर नजर डालें तो पता चलता है की साल 1679 में फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री Denis Papin ने पहला प्रेशर कुकर बनाया था जिसको उन्होंने “स्टीम डाइजेस्टर” का नाम दिया था।

उस समय उन्होंने अपने इस अद्भुत आविष्कार का लंदन की रोंयल सोसाइटी के समक्ष प्रदर्शन भी किया था। हालांकि इसे प्रयोग करना इतना आसान भी नहीं था और इसके लिए एक ख़ास तरह की भट्टी की भी आवश्यकता पड़ती थी।

लिहाजा इसे लंबे टाइम तक ज्यादातर होटलों और इंडस्ट्रीज में ही प्रयोग किया जाता था लोगों के घरों की किचन तक पहुँचने के लिए तो इसे बीसवीं सदी तक इंतज़ार करना पडा।

साल 1915 में पहली बार इस उपकरण को  “प्रेशर कुकर” के नाम से इस्तेमाल किया गया।  अमेरिका के न्यूयोंर्क में साल 1939 में आयोजित वैश्विक मेले में अल्फ्रेड विशलर ने पहली बार ऐसा एल्युमिनियम प्रेशर कुकर प्रदर्शित किया गया।  जिसका साइज़ घरों में खाना बनाने वाली देगजी या फिर पतीली जैसा ही था। इसे आधुनिक कुकर का शुरूआती रूप भी मान सकते हैं यह मॉडल जल्द ही हर घर में लोकप्रिय हो गया।

Leave a Comment