यहां साठ की उम्र में भी महिलाएं दिखती हैं 30 साल की सुंदर अप्सरा

hunza community lifestyle secrets जापान एक ऐसा देश है जहां पर उम्रदराज लोगों की संख्या युवा लोगों की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है। इसीलिए लोगों को यह गलतफहमी है कि वहां के लोग ज्यादा उम्रदराज और फिट होते हैं।

जबकि सच्चाई यह है कि दुनियाभर में पाई जाने वाली हजारों जनजातियों में से एक जनजाति ऐसी भी है। जिसकी औसतन आयु ही 110 साल से लेकर 120 साल है और यहां की औरतें साठ की उम्र में भी 30 साल की सुंदर अप्सरा दिखाई देती हैं।

ये लोग बूढ़े बिल्कुल भी नहीं दिखते हैं और बीमारियां इन को छूती भी नहीं है। ऐसा क्या है इस जनजाति में जो इनको इतना स्वस्थ और फिट बनाए रखता है। अगर आप नहीं जानते तो आज हम आपको बताते हैं।

इस जनजाति को हुंजा नाम से जाना जाता है हुंजा जनजाति पाकिस्तान में अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान के पहाड़ों में स्थित हुंजा घाटी में पाई जाती है।

ये भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रित रेखा के पास पड़ता है। इस जगह को युवाओं का नखलिस्तान भी कहा जाता है आज के इस दौर में अगर कोई जीवन के साठ साल पूरे कर ले तो उसे बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है।

लेकिन अगर साठ साल का होने के बाद भी कोई 30 साल का दिखे तो इसे कमाल ही कहा जाएगा। जबकि हुंजा जनजाति ऐसी ही है जिसमें जब इंसान की उम्र साठ की होती है तब भी वह 30 का दिखता है।

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इस जनजाति की सबसे खास बात तो यह है कि यहां के लोग बहुत ही खूबसूरत दिखते हैं। खास करके यहाँ की औरतें 65 साल तक जवान रहती हैं और वह इस उम्र में भी संतान को जन्म दे सकती हैं। वहीं इनके मर्द 90 साल में भी पिता बन सकते हैं। हुंजा जनजाति की संख्या लगभग 87 हज़ार है। यह जनजाति और उनकी जीवन शैली सैकड़ों साल पुरानी है।

दुनिया की चकाचौंध ने लोगों की लाइफस्टाइल ऐसी कर दी है की शरीर बीमारियों का ढांचा बनता जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ हुंजा कम्युनिटी के लोग फिजिकली और मेंटली बहुत ही स्ट्रांग होते हैं। इनकी लाइफस्टाइल ही इनके लंबे जीवन का रहस्य है। यह लोग सुबह 5 बजे उठ जाते हैं यह लोग पैदल बहुत घूमते हैं 10 से 15 किलोमीटर रोज़ाना पैदल चलते हैं।

कहा जाता है कि यह लोग दिन में केवल दो बार ही खाना खाते हैं पहली बार वह दिन में 12 बजे खाना खाते हैं और फिर रात को। इनका खाना पूरी तरह से नेचुरल होता है इसमें किसी तरह का कोई भी केमिकल नहीं पाया जाता। यहाँ के लोग खुमानी बहुत ज़्यादा खाते हैं जिसके सैकड़ों फायदे हैं।

इनका दूध, फल और मक्खन सभी चीजें प्योर होती हैं। यह खास तौर पर वही खाना खाते हैं जो यह खुद उगाते हैं। जैसे कि खुमानी, जो, बाजरा, कुट्टू और गेहूं इनके अलावा आलू, मटर, गाजर, शलजम, दूध जैसी चीजें भी यह बहुत खाते हैं। इस कम्युनिटी के लोग मांस बहुत कम खाते है इनके यहाँ किसी खास मौके पर ही मांस पकता है। लेकिन उसमें से भी पीस बहुत ही छोटे-छोटे होते हैं।

यह लोग अखरोट का भी खूब इस्तेमाल करते हैं धूप में सूखे अखरोट में बिटामिन बी-17 कंपाउंड पाया जाता है।

जो शरीर के अंदर मौजूद कैंसर एजेंट को खत्म करता है। डॉक्टर ने भी यही माना है की इनकी जीवन शैली ही इनकी लंबी आयु का राज है। शायद ही इन लोगों ने कभी कैंसर जैसी बीमारी का नाम सुना होगा। कुछ लोग तो इन लोगों को किसी यूरोपियन नस्ल से जोड़ते हैं। वास्तव में यहां के लोग गोरे-चिट्टे जवान हंसमुख और आसपास की आबादी से बिल्कुल ही अलग दिखाई देते हैं। जैसे की अभी आसमान से उतरकर आए हो इस कम्युनिटी के लोगों को बुरुशो भी कहते हैं इनकी भाषा बुरुशास की है।

ये कम्युनिटी पूरी तरह से मुस्लिम है। इनकी सारी एक्टिविटी मुसलमानों जैसी ही हैं यह कम्युनिटी पाकिस्तान की बाकी कम्युनिटी से कहीं ज्यादा एजुकेटेड है।

हुंजा वैली पाकिस्तान की सबसे ज्यादा पसंदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन में से एक है। दुनिया भर से लोग यहां की पहाड़ी की खूबसूरती देखने आते हैं। इस कम्युनिटी में कई लोग किताबें भी लिख चुके हैं। इस में से Ji Rodal ki Healthy Hunzas or Doctor John Clark ki Hunza, Lost Kingdom of the Himalayas जो कि बहुत ही फेमस है तो आप भी हो गए ना हैरान कि आज के समय में भी ऐसे लोग मौजूद हैं।