बचपन की यादो को ताज़ा कर देते हैं आज भी ये पकवान

bachpan ki yadein चलिए आज बचपन की यादो को ताज़ा करते है ये कुछ ऐसी रेसिपीज है जो हमे अपने बचपन की याद दिला देती है।

दाल बाटी चूरमा

daal bati churma

दाल बाटी चूरमा देखकर हमे आज भी अपने बचपन की याद आ जाती है कितनी स्वादिष्ट होती है। ये डिश मम्मी इसे सन्डे में बनाया करती थी और पूरे हफ्ते हम दाल बाटी चूरमा खाने के लिए इंतज़ार किया करते थे।

सरसों का साग मक्की की रोटी

sarso ka saag makki di roti

सरसों का साग मक्की की रोटी ये तो मेरी इतनी पसंदीदा है की इसे खाने के लिए में झगड़ा करती थी माँ से बनाने की ज़िद किया करती थी। और माँ से रूठ जाया करती थी और जब माँ प्यार से बनाकर अपने हाथों से खिलाया करती थी तो मानों सारे शिकवे-गिले ही खत्म हो जाया करते थे। और में दौड़कर उनके गले से लग जाया करती थी कितना मासूम होता है ना हमारा बचपन।

आलू पराठा

Aloo Paratha Recipe

सुबह-सुबह नाश्ते में आलू पराठा और आचार कितना स्वादिष्ट लगता था अब तो समय के कारण इसे लोग बनाना ही भूलते जा रहे है।
हम चाहे कितने ही बड़े क्यों ना हो गये हो लेकिन आज भी हमे अपनी माँ के हाथों का खाना याद आता है। कितना स्वाद होता था। उस खाने में जो घंटो बैठकर प्यार से वह हमारे लिए बनाती थी और ये खाने स्वादिष्ट होने के साथ-साथ बहुत ज्यादा हेल्दी भी होते है बचपन की सूखी रोटी में भी इतना ज्यादा स्वाद होता था जो आज के पराठो में भी नहीं आता।

शकराना

Shakrana recipe

शकराना तो सबको इतना ज्यादा पसंद आता था की लोग इसे शादी ब्याह में भी बनवाया करते थे देसी घी से बना हुआ शकराना कितना स्वादिष्ट होता था। और साथ ही साथ हेल्दी भी आजकल तो इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी में ये सारी चीज़े जैसे कही खो सी गई हो।

बाजरे की रोटी

bajre ki roti

बाजरे की रोटी के साथ में बना हुआ आलू सोये की सब्जी कितनी स्वादिष्ट लगती थी। और इसकी खुशबु से तो सारा घर महक जाता था दिल करता की सारी हांड़ी ही साफ कर लू कितने अच्छे हुआ करते थे वह बचपक के दिन आज तो बस यादे ही रह गई है।

मलीदा

Malida recipe

मलीदा हमारी दादी व नानी के जमाने की बहुत ही स्वादिष्ट व हेल्थी डिश है और यह उत्तर भारत का एक बहुत ही पारम्परिक व्यंजन माना जाता था जिसे खास तौर पर सर्दियों के मौसम में बाजरे की रोटी, घी और गुड से बनाया जाता था।
जिसमें बाजरे की रोटी की जगह पर बाजरे के परांठे का इस्तेमाल किया जाता था और बाजरे के परांठे को सेंककर थोडा सा ठंडा होने पर इसे अच्छी तरह से दोनों हथेलियों से मसल-मसलकर बारीक करने के बाद घी और पिसी हुई चीनी के साथ में मिलाकर बनाया जाता था इसका स्वाद में आज भी नहीं भूलापाई।

मीठी सेवईया

meethi seviyan

अगर कही में मीठी सेवईया देखती हूँ तो बचपन की याद आ जाती है कैसे आपस में लड़ झगड़ कर हम बहन भाई सेवईया खाया करते थे। कितना स्वाद भरा होता था उसमे हम सारी खत्म कर दिया करते थे और फिर माँ से शिकायत किया करते थे के भाई ने सारी सेवईया खत्म कर दी और माँ बहुत ही प्यार से कहती थी कोई बात नहीं में और देती हूँ सब कुछ वही है बस बचपन ही नहीं कितना प्यारा होता है बचपन ना कोई चिंता और ना ही कोई टेंशन ।
शायद इसे पढ़कर आपकी भी बचपन की यादे ताज़ा हो जाएं, अगर ऐसा है तो अपने दोस्तों के साथ इस पोस्ट को शेयर करना ना भूलें।

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